अध्याय 12-जो दिखता है, वही भ्रम है वेदांत-2.0 Vedānta 2.0 © 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲---यह ग्रंथ न भविष्य का स्वप्न है,न मन की कोई कल्पना।यहाँ कोई भगवान नहीं,न धर्म, न पंथ, न गुरु।न कोई साधना, साधन, मंत्र या तंत्र।यहाँ न कोई धारणा,न श्रद्धा, विश्वास या आस्था।न कोई शास्त्र, मंदिर, मस्जिद,न कोई भीड़, संस्था या व्यवस्था।यह न उपदेश देता है,न आदत बनाता है,न किसी नशे में डालता है।क्योंकि यह सब —उधार के शब्द और उपाय हैं।और वेदांत 2.0 मेंउधार कुछ नहीं चलता।---यह ग्रंथ मनुष्य की चेतना की बात करता है —उसके उस हिस्से की,जो अभी भी जीवित है,पर जिसे उसने देखना बंद कर