यादों की सहेलगाह - प्रकरण 1 उस वक़्त मैं तीन साल का था, मेरा बड़ा भाई सुखेश पांच साल का था औऱ मेरी छोटी बहन भाविका केवल छह महिने की थी. उस वक़्त मेरी मा असाध्य बीमारी का शिकार हो गई थी. उन्हें कांदिवली स्टेशन के बाहर एक सेनेटोरियम में रखा गया था. मेरे पिताजी रोज सुबह 9 बजे की लोकल ट्रैन पकडकर मुंबई जाते थे. स्टेशन एकदम बाजू में था इस लिये ट्रैन आने की आवाज सुनकर ही वह बाहर निकलते थे औऱ टी सी की केबिन में चढ़ जाते थे. औऱ हम दोनों भाई