राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 17

और सैनिक अंगद को राजसभा के अंदर लेकर आये थे।अंगद को बैठने के लिये आसन नही दिया तब,उन्होंने स्वयं आसन बनायावह राम के दूत है और शांति प्रस्ताव लेकर आये हैं, तब रावण ने तंज कसा और राम को डरपोक बताया तब अंगद ने याद दिलाया कि उसके पिता बाली ने कैसे उसे घुमाया था।और अंगद ने ही अपना पैर धरती में जमा दिया जिसे कोई नही हिला पाया।युद्ध शुरू होने से पहले विभीषण ने भी अपने बड़े भाई रावण को सीता को लौटाने की सलाह दी।रावण इससे नाराज हो गया और उसे लंका से निकाल दिया।वविभीषण की नजर में