सूरज की पहली किरण गाँव के छोटे-से घर की खिड़की से झाँक रही थी। धूप की हल्की सुनहरी चमक रसोई के मिट्टी के बरतन पर पड़ रही थी। अन्विता अपनी दादी के पास बैठी थी। दादी चूल्हे पर ताजी रोटियाँ सेंक रही थीं, और उसकी आँखों में जीवन की हर झुर्री में अनुभव की चमक थी। अन्विता कटोरी में हल्का सा दूध घोल रही थी, उसकी छोटी उंगलियाँ हल्की सी कांप रही थीं।“अन्विता, आज स्कूल जल्दी जाना होगा। परीक्षा का दिन है,” दादी ने प्यार से कहा। उनका चेहरा झुर्रियों भरा था, पर आँखों में हमेशा की तरह चमक थी।अन्विता