उजाले की ओर –संस्मरण

  • 1.1k
  • 434

उजाले की ओर.... संस्मरण ================== स्नेहिल सुभोर प्रिय मित्रो    बहुत से  दोस्त मुझसे पूछते है: "आप हर समय हँसती क्यों रहती हैं? " मुझे उनकी बात पर फिर हँसी आ जाती है.। मुझे मअहसूस होता है कि अगर कोई हँसे तो अधिक अच्छा है बनिस्पत मुँह लटकाने के!बात यह है कि हम चुनाव किसका करते हैं?       जीवन सबको अवसर देता है, हँसने, रोने दोनों के! कई बार बहुत बड़ी बात भी नहीं होती और हम दुखी हो जाते हैं और कई बार खुशी की बात होती है तब भी हम नहीं हँस सकते जाने क्यों? जबकि होना