1. वही पुरानी बालकनीदिल्ली की सर्द सुबह थी।माया अपनी पुरानी बालकनी में बैठी थी — हाथ में चाय का कप, सामने वही सड़क, वही आवाज़ें, वही अकेलापन।हर रोज़ की तरह उसने अपने पौधों को पानी दिया, और पुराने रेडियो से किशोर कुमार की आवाज़ बजने लगी —> “कुछ तो लोग कहेंगे…”वो मुस्कुरा दी।लोगों ने हमेशा कहा ही था।“इतनी पढ़ी-लिखी लड़की होकर अकेली क्यों रहती है?”“शादी क्यों नहीं की?”“ज़िंदगी ऐसे कैसे चलती है?”माया हर सवाल का जवाब एक मुस्कान से देती थी।क्योंकि कुछ जवाब सिर्फ़ दिल जानता है।---2. वह दो सालदो साल पहले तक माया की ज़िंदगी अलग थी।रोज़ का हँसना,