बांसुरी (बांन्या सुभ्रा रीहान)️ लेखक: राज फुलवरे--- अध्याय 1 — “बचपन की गलियाँ”मुसाफिरपुरा के पुराने मोहल्ले की सुबहें हमेशा एक जैसी होती थीं —चाय की भट्टी पर उठता धुआँ, बच्चों की स्कूल बस की आवाज़ें, और गली के कोने पर बैठे बांसुरी वाले बाबा की मद्धम तान।वही बांसुरी की धुन हर सुबह मोहल्ले को जगाती थी।--- बचपन की दोस्तीउस गली में दो बच्चे बड़े हो रहे थे —बानन्या और शुभ्रा।बांन्या थोड़ा शरारती था, मगर दिल का बेहद साफ़।शुभ्रा उससे ज़्यादा समझदार, पर भीतर से उतनी ही नादान।दोनों की उम्र में बस दो साल का फ़र्क था, लेकिन समझो जैसे दोनों एक-दूसरे