बलात्कार की सजा सिर्फ मौत - भाग 7

भाग 7:अगली सुबह, रोज़ की तरह अख़बार वाला विशाल के घर के गेट पर अख़बार डाल कर चला गया।घर के अंदर हल्की-हल्की रौशनी फैल रही थी। विशाल अपने कमरे में गहरी नींद में सोया हुआ था। कुछ देर बाद उसकी माँ चाय का कप लिए उसके कमरे में आईं। उन्होंने उसके कंधे को धीरे से हिलाया।माँ: “विशाल बेटा… उठो, 9 बजने वाले हैं।”विशाल की नींद टूटी। उसने आँखें मलीं, लंबी अंगड़ाई ली, अपनी मां की ओर देखते हुए “हाँ माँ… उठता हूँ। कितना अच्छा सपना देख रहा था… आप ने जगा कर पूरा खराब कर दिया।”माँ मुस्कुरा पड़ीं, “तो बताओ,