[17]वकार के घर रात्री के समय भोजन के उपरांत सारा, निहारिका, सपन तथा वकार बैठे थे। “वकार, कुछ व्यवस्था है या?” निहारिका के शब्दों का अर्थ वकार भली भांति जानता था। वह उठा। विदेशी उच्च कक्षा के दारू की बोतलें आदि लेकर वह लौटा। वकार ने प्याले भरे। “आज सबसे पहले सारा जी को दी जाएगी।” निहारिका ने वकार को सूचना दी। वकार सारा की तरफ बढ़ा, उसके सामने दारू धर दिया। सारा ने कुछ क्षण उस बढ़े हुए हाथ को देखा, निश्चय कर लिया और बोली, “जी नहीं। मैं नहीं पीती।” “सारा जी, इसे अपना ही घर समझो। पी लो।” “निहारिका जी, धन्यवाद। किन्तु