एपिसोड 3 — “वो दिन… जब सपने विदाई में खो गए”"कभी सोचा था, शादी सिर्फ एक रिश्ता नहीं… बल्कि एक नए घर की ओर पुल होती है।पर किसे पता, उस पुल के दूसरे छोर पर काँटे भी हो सकते हैं…”वो दिन आ ही गया था।आँगन में हल्दी की खुशबू इस तरह फैली हुई थी, जैसे हर दीवार, हर कोना निधि की नई शुरुआत का गीत गा रहा हो। उधर, दूर खड़ा सुधांशु अपने दोस्तों के बीच हँसता, खिलखिलाता बारात की तैयारी कर रहा था।निधि के मन में एक अजीब-सी हलचल थी…जैसे कोई अनदेखा भविष्य धीरे-धीरे उसके कान में कह