देवकी की व्यथा - भाग 2

माता देवकी होले-होले से महल के मुख्य द्वार की ओर बढ़ने लगीं। द्वार के नजदीक पहुँचते ही द्वारपालों ने उनका अभिवादन करतें हुए कहा - " प्रणाम ! महारानी..."माता देवकी ने उन्हें स्नेहसिक्त नज़रों से देखा और आशीर्वाद की मुद्रा में हाथ उठाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया। जैसे ही माता देवकी ने मुख्य द्वार के अंदर प्रवेश किया। वहाँ पर उपस्थित अतिथि सत्कार के लिए नियुक्त किए गए दास व दासियों ने माता देवकी पर पुष्प बरसाए फ़िर झुककर सभी ने सादर प्रणाम किया।माता देवकी के आगमन की सूचना दासी द्वारा श्रीकृष्ण तक पहुंचा दी गई थीं। कृष्ण सभा के