इंतेक़ाम - भाग 17

निशा अपना ससुराल छोड़कर और अपने बच्चों को लेकर घर से आ तो गई लेकिन उसे यह चिंता सता रही थी कि आखिर में अब वह कहां जाएगी क्योंकि उसके मायके में तो कोई ऐसा था नहीं जिसके भरोसे वह वहां जाति खुद उसके मायके वालों ने ही उसके साथ कितना कुछ किया, यह सोचकर ही  निशा के आंसू आ जाते और वह तिलमिला उठती,,,,वह बच्चों को लेकर मंदिर में बैठी रही फिर उसे समझ आया कि क्यों ना मैं अपनी बुआ जी के घर चली जाऊं फिर उसने जो अपने पास थोड़ी बहुत रुपए थे उनसे टैक्सी किराए पर