वो जंगल इतना घना था के किसी भी रोशनी का वहां पँहूचना ना मुमकीन था एकांश अपनी नजरे इधर उधर घुमाता है तो एकांश को अपने आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था के इस जंगल में इतनी सुंदर जगह भी हो सकता है । जिसके बारे में आज तक किसको ना मालुम है और ना कभी सुना है । वहां पर बहते पानी की सुंदर आवाज और चारो और रंग बिरेंगे फूल उस जगह को और भी रोमांचक बना रहा था के जैसे ये धरती नहीं कोई और लोक है । एकांश.. जो कुछ दैर पहले हांफ रहा था अब उसकी