परवाह - पार्ट 3

सरला के जाने को अब दो साल बीत चुके थे ।लेकिन उनके बिना पायल का हर दिन अधूरा सा था ।वो हर चीज़ में मां को ढूंढती — उनके पुराने चश्मे, वो टूटी रोटी बेलने वाली बेलन, वो हलवे की मिठास… और सबसे ज्यादा — उनकी परवाह ।पायल अब एक स्कूल में पढ़ाती थी — एक N G O स्कूल में, जहां गरीब और अनाथ बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती थी ।वहीं उसकी मुलाकात हुई " छोटी माही " से।पांच साल की एक नन्हीं सी बच्ची, जो बहुत चुपचाप रहती थी। कोई दोस्त नहीं, कोई हंसी नहीं, आंखों में