सरला अब ठीक हो चुकी थीं, लेकिन बीमारी ने उनके शरीर को पहले जैसा नहीं रहने दिया था। कभी तेज़ी से काम करने वाले उनके हाथ अब कांपते थे, चलने में दिक्कत होती थी, और याददाश्त भी कई बार उनका साथ छोड़ देती थी। वो वही सरला थीं, जो कभी पूरे घर को अपने दम पर संभालती थीं, और अब किसी के सहारे की ज़रूरत पड़ने लगी थी।पर अब उनके सहारे थी — पायल।वही पायल, जो कभी उनका दिया दूध गिरा देती थी, अब उनके लिए सुबह-सुबह गर्म पानी तैयार करती थी। वही पायल, जो कभी चुपचाप खाना खा लेती