आखिरी कोशिश

धूप ढल चुकी थी। शहर की भीड़ में हर कोई अपनी मंज़िल की तरफ़ भाग रहा था, पर आरव आज फिर वही पुरानी बेंच पर बैठा था — थका हुआ, टूटा हुआ, और लगभग हार चुका। उसके हाथ में कुछ पुराने कागज़ थे — रिजेक्शन लेटर, जो अब उसकी जिंदगी के पन्नों में दर्द की कहानी बन चुके थे।कभी उसके सपनों में आग थी। वह चाहता था कि अपनी मेहनत से कुछ बड़ा करे, अपने छोटे शहर का नाम रौशन करे। लेकिन बीते तीन सालों में, हर कोशिश नाकाम रही। कभी इंटरव्यू में रिजेक्ट, कभी प्रोजेक्ट असफल।आज उसकी हालत यह