नमस्ते दोस्तों! ये कहानी उन सबके लिए है जो रात के तीन बजे छत पर खड़े होकर सोचते हैं – “क्या मैं सच में अकेला हूँ या सिर्फ़ ऐसा महसूस कर रहा हूँ?” मैंने इसे अपने दिल की गहराई से लिखा है। पढ़ते हुए अगर कोई पल आपको रुला दे, हँसा दे या सोचने पर मजबूर कर दे, तो कमेंट में ज़रूर बताइएगा। आपका अकेलापन कैसा था? क्या कोई शब्द, कोई गाना, कोई इंसान या कोई याद ने आपको उससे बाहर निकाला? शेयर कीजिए, लाइक कीजिए, और अगर पसंद आए तो अपने दोस्तों तक पहुँचाइए। AI वॉइस में सुनना हो