छोटे से कस्बे की गलियों में एक टूटा-फूटा सा मकान था, जहां एक मां-बेटी रहती थीं। मां का नाम सरला था और बेटी का नाम पायल। रिश्ते में मां तो थी सरला, पर जन्म देने वाली नहीं — सौतेली थी।लोग कहते थे — "सौतेली मां कभी सगी नहीं होती।"और पायल भी यही मानकर बड़ी हो रही थी। उसे लगता था कि सरला की हर बात में रोक-टोक है, प्यार नाम की कोई चीज़ उसके लिए नहीं है। जब भी सरला उसे गर्म दूध देती, वो सोचती — "जले हुए होंठों से क्या सच्चा प्यार जताया जा सकता है?"जब भी वो