# गुमशुदा हवा**लेखक: विजय शर्मा एरी**## पहला अध्याय: खोया हुआ आकाशरमन ने अपनी खिड़की से बाहर झाँका। आकाश वैसा नहीं था जैसा कल था। रंग तो वही नीला था, लेकिन कुछ गायब था। हवा। वह हवा जो सुबह उसके बालों में उलझती थी, जो पत्तों को सरसराती थी, जो उसकी माँ की साड़ी को लहराती थी - वह गायब थी।"माँ!" रमन ने आवाज़ लगाई। "हवा नहीं चल रही!"उसकी माँ रसोई से बाहर आई, माथे पर चिंता की लकीरें। "हाँ बेटा, मैंने भी देखा। पूरे गाँव में एक भी पत्ता नहीं हिल रहा। यह बहुत अजीब है।"रमन बारह साल का था,