एक दुकानदार अब्दुर्रहमान ने अभी अपनी दुकान खोली ही थी कि एक औरत आई और बोली —“भाई साहब, ये लीजिए आपके दस रुपए।”अब्दुर्रहमान ने हैरानी से औरत की तरफ देखा, जैसे पूछ रहा हो —“मैंने तुम्हें दस रुपए कब दिए थे?”औरत बोली —“कल शाम मैंने आपसे कुछ सामान खरीदा था। मैंने आपको सौ रुपए दिए थे।सामान सत्तर रुपए का था, और आपने मुझे चालीस रुपए वापस दिए,जबकि देने तीस रुपए थे।”अब्दुर्रहमान ने वो दस रुपए अपनी पेशानी से लगाए,पैसे के डिब्बे में रखे और बोले —“बहन, एक बात बताओ, सामान लेते वक़्त तुमने हर पाँच रुपए पर मुझसे खूब मोलभाव