वेदांत 2.0 अध्याय — 7 -“धर्म और सिद्धि : जब आत्मा प्रमाण बन गई” — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲 --- सूत्र १ “अप्प दीपो भव” और “मौन हार” किसी को पहनाया नहीं जा सकता। जो दिया जाए, वह दीपक नहीं; जो दिखाया जाए, वह मौन नहीं। व्याख्यान: बुद्ध का दीपक भीतर जलना था, पर शिष्य उसे बाहर से जलाने लगे। मौन कोई सिद्धि नहीं — यह तो तब उतरता है जब भीतर की आवाज़ें थक जाती हैं। --- सूत्र २ बौद्ध धर्म, हिन्दू संन्यास