अहंकार और आभार का धर्म धर्म, दान, पुण्य की तख्ती ने अधर्म को जन्म दिया। — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲 अध्याय क्रम 1.उत्पत्ति का धर्म — जो अपने से पैदा होता है, वह तुम्हारा नहीं।2.उपकार का धर्म — बाँटना ही पूर्णता है।3.अधर्म का बीज — प्रदर्शन में खोया धर्म।4.अहंकार और आभार का धर्म — देने का बोध।5.स्वीकार का धर्म — विरोध के पार जीवन।6.मौन का धर्म — शब्द से परे सत्य।7.ध्यान का धर्म — बिना ध्यान का ध्यान।8.शून्य का धर्म — सब कुछ में कुछ नहीं।9.तेज का धर्म — प्रकाश में लौटती चेतना।10.प्रकाश का धर्म — ज्ञान से परे बोध।11.बोध