अध्याय 8संस्कृति और राष्ट्रनिर्माणराष्ट्र केवल भूभाग का नाम नहीं होता। मिट्टी, पर्वत, नदियाँ और वन मिलकर मात्र एक भौगोलिक इकाई बना सकते हैं, किंतु वह राष्ट्र तभी कहलाता है जब उसमें एक जीवित आत्मा होती है, और वह आत्मा उसकी संस्कृति होती है। भूमि जड़ है, पर संस्कृति उसमें जीवन का संचार करती है। जब कोई मनुष्य अपनी मातृभूमि की मिट्टी को माथे से लगाता है, जब वह अपने गाँव के तालाब और अपने खेतों की लहलहाती फसल को देखकर गर्व करता है, तब वह केवल भूभाग को नहीं, बल्कि संस्कृति को प्रणाम करता है। यही संस्कृति भूमि को राष्ट्र