श्रापित एक प्रेम कहानी - 6

सत्यजीत :- एकांश गिरी ने फोन किया था। वो धापा लेकर आ रहा है। सत्यजीत की बात सुनकर एकांश अपने माथे पर हाथ रख के कहता है। एकांश :- हे भगवान हो गया कल्याण। इनको भी अभी आना था । सत्यजीत इतना बोला ही था के तभी सत्यजीत की नजर मीरा पर पढ़ती है जो सत्यजीत को ही देख रही थी जिसे दैख कर सत्यजीत की बोलती बंद हो जाती है। सत्यजीत घबरा कर एकांश की और देखता है और इशारा करके पुछता है। सत्यजीत :- क्या हुआ ?? एकांश हाथ को गले में ले जा कर इशारा करता है। गए काम से एकांश मन