एक छोटे से गाँव का लड़का था। घर की हालत बहुत साधारण थी। पिता खेती-बाड़ी करते थे, जिनकी आय साल भर की मेहनत के बाद भी परिवार के लिए पर्याप्त नहीं होती थी। माँ गाँव में दूसरों के घर काम करके घर का खर्च चलाती थीं।राहुल बचपन से ही सुनता आया था—“बेटा, खूब पढ़-लिख, ताकि तुझे हमारी तरह तंगहाली न झेलनी पड़े।”इसीलिए उसके माता-पिता अपनी भूख-प्यास भुलाकर उसे पढ़ाते रहे। राहुल के अंदर भी कुछ करने का जज़्बा था। लेकिन उसकी एक कमजोरी थी—वह सब कुछ जल्दी चाहता था। उसे लगता था कि मेहनत का रास्ता बहुत लंबा है, और