“यह सज्जन आज के विज़िटर्ज़ हैं, सर,” मेरे दफ़्तर के विज़िटर्ज़ टाइम पर मेरा निजी सचिव मेरे सामने एक सूची रखता है। इस में जोड़ा गया एक नया नाम मुझे आकर्षित करता है : एकनाथ, एक कवि। “इसी को पहले भेज दो,” इस नाम को ले कर मेरे अंदर गहरा रोष रहा है। अपनी बेटी के कारण।