गया का मानपुर इलाका जहाँ हर गली में कोई न कोई कहानी आधी जली बीड़ी की तरह पड़ी रहती है।वहीँ की एक कहानी है , थकी देह और खून से लबरेज़ कृति की ।मैं उस रात गया में था, किसी काम से, बस लेट हो गई थी और जब तक पहुँचा, कार्यालय बंद हो चुका था।थकान इतनी थी कि सीधे मानपुर के एक छोटे होटल में कमरा ले लिया।रात करीब साढ़े बारह का वक्त होगा — अचानक दरवाज़े पर दस्तक हुई।पहले सोचा, शायद गलती से कोई और कमरा समझ लिया हो, पर फिर से खटखटाहट हुई, ज़रा तेज़।दरवाज़ा खोला तो