Mask Pehne Log(एक दर्द, एक सच, एक दुनिया)कभी-कभी सोचता हूँ, क्या इस दुनिया में कोई चेहरा ऐसा भी बचा है जो असली हो?हर तरफ बस मुस्कुराहटें हैं, जो आँखों तक नहीं पहुँचतीं।हर हँसी के पीछे कोई डर, कोई झूठ, कोई दिखावा छिपा होता है।कभी कोई “कैसे हो?” पूछता है, तो लगता है — ये सवाल नहीं, बस औपचारिकता है।क्योंकि जवाब किसी को सुनना ही नहीं होता।यह दुनिया एक स्टेज बन गई है, और हम सब एक्टर्स हैं।हर कोई अपनी भूमिका निभा रहा है — कोई “दोस्त” बनकर, कोई “अपना” बनकर,पर सबके पीछे एक मास्क है — जो असली चेहरे को