प्रथम दृष्टि में यह शीर्षक विरोधाभास सा प्रतीत हो सकता है। परंतु गहराई से चिंतन किए जाने पर ज्ञात होगा की उच्च कोटि के साधक सद आचरणों के बंधन में रहकर ही जीवन से मुक्ति का मर्ग खोज पाते हैं। यही नियम हमारे जीवन में भी लागू होता है। मनुष्य के ऊपर खासतौर से युवाओं के ऊपर, उनके हित के लिए जिन नियमों का पालन करने के लिए मजबूर किया जाता है तो वह असंतोष या विद्रोह पैदा करता है। बहुत छोटा सा उदाहरण इसे स्पष्ट कर सकता है, जब छोटे बच्चों को मां बाप होमवर्क करने के लिए कहते