मंदिर, मूर्ति, धर्म और शास्त्र — एक नई दृष्टि - 1

 मंदिर, मूर्ति, धर्म और शास्त्र — एक दृष्टि  — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲 प्रस्तावना मनुष्य ने जब पहली बार किसी पत्थर को ईश्वर कहा,वह अंधविश्वास नहीं था —वह अदृश्य को छूने की कोशिश थी।धरती, आकाश, वर्षा, अग्नि —हर शक्ति उसके लिए रहस्य थी।वह उनसे डरता भी था,और उन्हें पूजता भी था।भय से निकली श्रद्धा,श्रद्धा से निकला धर्म,और धर्म से उत्पन्न हुआ शास्त्र।पर समय के साथ —भय गया नहीं, रूप बदल गया।अब मनुष्य प्रकृति से नहीं डरता,पर अपने भीतर से डरता है।यही डर आज भी उसकी प्रार्थना, पूजा, मूर्ति और शास्त्र के पीछे छिपा है।यह ग्रंथ उसी डर को समझने की कोशिश है —जिसे धर्म ने पूजा बना