अध्याय 6 — सुषुम्ना : मौन की मध्य रेखा सूत्र 4:“द्वैत की थकान से सुषुम्ना खुलती है।”व्याख्या:इड़ा और पिंगला का झूला जब बराबर हो जाता है,जब न बाएँ झुकाव रह जाता है, न दाएँ,तब सुषुम्ना जागती है।यह प्रयास से नहीं, संतुलन से घटती है।जैसे तूफान के बाद अचानक शान्ति उतरती है।सूत्र 5:“सुषुम्ना में प्रवेश का अर्थ है — समय से बाहर होना।”व्याख्या:इड़ा में भूत का प्रवाह है,पिंगला में भविष्य का।दोनों के मिलने पर वर्तमान प्रकट होता है।सुषुम्ना में समय रुक जाता है —वह केवल “अब” में बहती है।ध्यान वहीं घटता है।सूत्र 6:“जो मध्य में टिका, वही मुक्त।”व्याख्या:कुण्डलिनी का विज्ञान