ऊर्जा का विज्ञान — आज्ञा से मूलाधार तक — 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲--- प्रस्तावना जिस दिन मनुष्य ने पहली बार भीतर झाँका —उसे दो धाराएँ दिखीं।एक श्वास के बाएँ बहती हुई,दूसरी दाएँ।और बीच में एक मौन मार्ग — अदृश्य, सूक्ष्म, निर्मल — सुषुम्ना।यही से आत्मयात्रा का विज्ञान शुरू होता है।आधुनिक विज्ञान ने पदार्थ के भीतर विद्युत खोजी,और योग ने चेतना के भीतर वही विद्युत देखी।एक ने इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन कहा;दूसरे ने इड़ा, पिंगला, सुषुम्ना।नाम अलग, तत्व एक।जहाँ विज्ञान बाहर की मशीनें चलाता है,वहीं यह विज्ञान भीतर की ऊर्जा को रूपांतरित करता है।यह ग्रंथ उसी रूपांतरण की कथा है —जहाँ “आज्ञा”