चोर सिपाही ️ लेखक – विजय शर्मा एरी---रात का सन्नाटा था। अमृतसर शहर के पुराने इलाके की गलियों में हर तरफ सन्नाटा पसरा था। कहीं–कहीं कुत्तों के भौंकने की आवाज़ें आ रही थीं। लेकिन उसी सन्नाटे में एक परछाई बिजली की तरह फुर्ती से दीवार फाँदकर अंदर घुसी। हाथ में टॉर्च, कमर पर रस्सी और चेहरे पर नक़ाब — ये था राजू चोर।राजू का नाम पुलिस रिकॉर्ड में कई बार दर्ज हो चुका था। छोटा–मोटा चोर नहीं था वह — उसका काम था अमीरों के घर में सेंध लगाना और फिर रातों–रात गायब हो जाना। पर आज की रात कुछ अलग