आशिकी.....अब तुम ही हो। - 3

हमने पिछले अध्याय में देखा की ...पुजारी जी ने श्रद्धा को जन्माष्टमी के कार्यक्रम करने को कहा ...लेकिन श्रद्धा राधा बन ने से इंकार करती है!!!अब आगे...!!!!अध्याय ३ प्रीति:(हैरानी से) पर क्यूं?? हमेशा राधा तू ही तो बनती है !!श्रद्धा:प्रीति तू तो जानती है वो सोसाइटी की आंटियां....(कह ही रही होती है..की)प्रीति:(टोकते हुए) अरे...!! वो जलकुकड़िया...उनकी चिंता मत कर!!!श्रद्धा:प्रीति!!प्रीति: जलकुकड़िया ना कहूं तो क्या कहूं! हर समय सिर्फ जलन !वो सब चाहती है उनकी बेटियां राधा बने , जिनकी ना तो शक्ल है  राधा जी बनने वाली और न ही हरकते!!..श्रद्धा:बस कर प्रीति ! शांत हो जा!!! (हरी प्रसाद से) काका