सत्य आदि अनंत सनातन समाज मे परिवर्तन

प्रत्येक नौजवान कि इच्छा होती है कि उसकी जीवन संगिनी दुनियां कि सबसे खूबसूरत गुणवान और धनवान हो लेकिन यह तो प्रत्येक नौजवान कि इच्छा होती है प्रारबद्ध नहीं क्योंकि अपने अपने कर्म ही प्रारबद्ध का निर्धारण करते है और तमाम शोध प्रयोग के उपरांत कम से कम भारत मे जिस भी लड़की से विवाह हो जाता प्रत्येक नौजवान को अपने अंतिम सांस तक निर्वहन करना पड़ता था! बिसवीं सदी के अंतिम वर्षो तक कम से कम भरतीय समाज कि वैवाहिक परम्परा एवं सामाजिक सरचना इसी प्रकार कि थी वर्ष 1970 -75 के मध्य तो स्थिति यह थी कि माता