# अदृश्य आदमी### लेखक: विजय शर्मा एरीरमेश का जीवन एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार की तरह था। सुबह उठना, ऑफिस जाना, शाम को लौटना और फिर अगली सुबह की तैयारी। तीस साल की उम्र में भी उसे लगता था कि उसकी ज़िंदगी एक पुरानी रील की तरह बार-बार दोहराई जा रही है। न कोई रोमांच, न कोई आश्चर्य।एक दिन की बात है, जब रमेश अपनी पुरानी अलमारी साफ कर रहा था। धूल भरी किताबों के बीच उसे एक अजीब सी शीशी मिली। शीशी पर किसी प्राचीन भाषा में कुछ लिखा था जिसे वह समझ नहीं पाया। जिज्ञासावश उसने शीशी खोली और