श्रापित एक प्रेम कहानी - 3

दक्षराज को एक गेरुआ वस्त्र पहनने ध्यान में लीन एक बाबा दिखई देता है। जिनकी बड़ी बड़ी दाड़ी मुछे , तथा हाथ , पैर औऱ मुह में भस्म लगा था । "और उनके दोनो और एक एक सेवक खड़े थे , ताकी बाबा के ध्यान में कोई बाधा ना आए । बाबा के पास एक त्रिसुल था और सामने  कुछ मानव खोपड़ियां।वो बाबा ध्यान मे मग्न था ।ये बाबा कोई और नहीं बल्की  अघोरी बाबा है। दक्षराज अघोरी बाबा के सामने हाथ जोड़ कर चुप चाप खड़ा था । तभी बाबा ध्यान में रहते ही कहता है ।अघरी बाबा ----