खिलाड़ी बनो, खिलौना नहीं

अवनीश हमेशा से बहुत अच्छा लड़का था —हर किसी की मदद करता, सबको खुश रखता, किसी को “ना” नहीं कहता।अगर किसी को नोट्स चाहिए होते, तो वो देता।अगर किसी का प्रोजेक्ट अधूरा होता, तो वो रातभर जगकर पूरा कर देता।शुरुआत में सब उसे पसंद करते थे, “यार, अवनीश बहुत अच्छा है,”लेकिन धीरे-धीरे वो सबके लिए बस एक सहूलियत बन गया —एक ऐसा इंसान जो हर वक्त उपलब्ध है, लेकिन जिसकी अहमियत कोई नहीं समझता।उसे हमेशा लगता था कि अच्छा बनने से लोग उसके अपने बनेंगे।लेकिन हुआ उल्टा — जितना वो झुकता गया, लोग उतना उसे हल्के में लेने लगे।क्लास में