अजीब दास्तान है, मेरी,चाहता था, क्या बननाऔरकिस्मतकिस मोड़ पर ले आयी,उन दिनों, मै जोधपुर विश्व विद्यालय में बी एस सी में पढ़ रहा था।यह बात है, वर्ष 1969 कीपिताजी रेल सेवा में थे,वह आर पी एफ में इंस्पेक्टर थे,उनकी पोस्टिंग आबूरोड में थी।सब कुछ हंसी खुशी चल रहा थादीवाली का त्यौहार चल रहा है, और मै इस श्रंखला को इसी त्यौहार से शुरू कर रहा हूँ,वर्ष1969 में भी दीवाली थी, जो औरों के जीवन मे उजाला और खुशियां लायी थी लेकिन मेरे जीवन मे दुख और अंधकार लेकर आयी।10 नवम्बर का दिन,9 नवम्बर की दीवाली थी और पिताजी को हार्ट