कमरा लाल गुलाबों की खुशबू से महक रहा था। बीच में रखे आईने के सामने आन्या बैठी थी — लाल रंग का लहंगा उसकी गोरी त्वचा पर ऐसे चमक रहा था जैसे सूरज की पहली किरण सिन्दूरी आसमान को छू गई हो।ममता जी उसके बालों में गजरा सजा रही थीं। उनकी आंखें नम थीं, आवाज कांप रही थी —"बेटा... हमे माफ़ तो कर दोगी ना?"आन्या ने मुस्कुराकर उनका हाथ थामा, बोली —"आपने मेरा प्यार समझा, मुझे समझा... मां, माफी क्यों मांग रही हैं? मुझे तो आपसे कोई शिकायत ही नहीं है।"उसकी आवाज में मासूमियत थी, और दिल में सागर जितना