Be-Awaaz Zindagi

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Be-Awaaz Zindagi“Muskurahat Ke Peechhe Ka Dard”(एक ऐसी कहानी जो हर उस औरत की है, जो शादी के बाद अपने ही साये से अजनबी हो जाती है)सुबह की हल्की धूप खिड़की से झाँक रही थी। कमरे में बच्चों की किताबें, कपड़े, खिलौने और अधूरी चाय का प्याला बिखरा पड़ा था। सुमैया ने आह भरी—हर दिन यही मंज़र, वही भागदौड़। एक दिन जो कभी उसका था, अब किसी और का हो गया था।वो पहले भी ऐसे ही उठती थी, पर तब सूरज की किरणें उम्मीद देती थीं; अब वही किरणें उसे याद दिलाती थीं कि एक और दिन आ गया है —