Maharaksak Arjun

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चमकदार रोशनी से भरा राजमहल बेहद शानदार और प्रभावशाली दिख रहा था। महल के हर कोने में जलती हुई हरी चट्टानों से नीला धुआँ ऊपर उठ रहा था, जिसकी महक मन को शांत करने वाली थी। ये नीला चंदन कहलाता था — ध्यान और साधना में मदद करने वाली दुर्लभ वस्तु। इतनी कीमती चीज़ को ईंधन की तरह जलाना बताता था कि इस महल के मालिक कितने ऊँचे दर्जे के हैं।महल के अंदर एक मध्य उम्र का व्यक्ति खड़ा था — आदर्श सूर्यबंशी, सूर्यबंशी साम्राज्य का राजा। उसके चेहरे पर दृढ़ता झलक रही थी, आँखों में राजसी तेज था। लेकिन