एक बार फिर

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एक बार फिर लेखक: विजय शर्मा एरी(शब्द संख्या: लगभग १५००)सूरज की किरणें खिड़की के पर्दों को चीरती हुई कमरे में घुसीं, लेकिन उनके चेहरे पर मुस्कान नहीं लाईं। रमेश की आँखें सूजी हुई थीं, जैसे रात भर की बेचैनी ने उन्हें निगल लिया हो। बिस्तर पर लेटे हुए वह छत को निहार रहा था, जहाँ कभी उसके सपनों के चित्र उकेरे जाते थे। अब वहाँ सिर्फ खालीपन था। बाहर सड़क पर बच्चों की हँसी की आवाज़ें आ रही थीं, लेकिन रमेश के कानों में सिर्फ़ वही पुरानी गूँज बज रही थी—डॉक्टर की ठंडी, कठोर आवाज़: "मिस्टर शर्मा, आपका किडनी फेलियर एडवांस्ड