छोटे से गाँव "रामपुर" की पहचान उसकी शांत गलियों, हरे-भरे खेतों और दूर क्षितिज पर दिखने वाले अरावली की चोटियों से थी। हवा में हमेशा गीली मिट्टी और पकी हुई फसल की महक घुली रहती थी। इसी गाँव की धूल और धूप में आरव पला-बढ़ा था। वह दस साल का एक दुबला-पतला, लेकिन अद्भुत ऊर्जा से भरा हुआ लड़का था। उसकी आँखें हमेशा किसी अज्ञात खोज के लिए आतुर रहती थीं।आरव की सबसे बड़ी जिज्ञासा थी 'गति'। किसी भी ऐसी चीज़ में जो तेज दौड़ती हो—पवन चक्की का घूमना, नदी का प्रवाह, या सबसे बढ़कर, घोड़े—उसका मन अटक जाता था।