अध्याय 3पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव और भारतीयता का क्षरणइतिहास के पन्नों को पलटने पर यह तथ्य स्पष्ट होता है कि भारत की संस्कृति इतनी गहरी और सुदृढ़ रही कि आक्रांताओं की तलवारें भी उसे पूरी तरह काट नहीं सकीं। असंख्य आक्रमण और अनगिनत संघर्षों के बावजूद इसकी जड़ें जीवित बनी रहीं। किंतु जब भारत पर पाश्चात्य सभ्यता और औपनिवेशिक मानसिकता का प्रभाव पड़ा, तब धीरे-धीरे हमारी आत्मा पर आघात होने लगे। भारतीय जीवन-दर्शन, जिसकी धुरी संतुलन, संयम और मर्यादा थी, पाश्चात्य संस्कृति की भोगवादी दृष्टि से विचलित हो गया। हमारे संस्कारों के दीपक मंद पड़ने लगे और आज भी यह