The Last Bus to Dreams

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शीर्षक: सपनों की आख़िरी बसरात का सन्नाटा धीरे-धीरे रानिपुर की गलियों में उतर आया था। हवा में हल्की ठंडक थी, और सड़क किनारे के बिजली के खंभे टिमटिमा रहे थे। दूर, पुराने बस स्टैंड पर सिर्फ़ एक ही बस खड़ी थी — उस पर धुंधले अक्षरों में लिखा था “Dreams Express – आख़िरी बस”।रवि वहीं खड़ा था, अपने पुराने, फटे बैग को कसकर पकड़े हुए। उसके चेहरे पर थकान थी, लेकिन आँखों में एक अजीब चमक — जैसे किसी नए सफ़र की शुरुआत होने वाली हो।उसने शहर की नौकरी छोड़ दी थी — वही नौकरी जो हर किसी के