“सृष्टि का अपना गीत, संगीत और मौन”अध्याय 1 — सौंदर्य का जन्म — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲आरंभ में कुछ नहीं था —न रूप, न रंग, न शब्द, न ध्वनि।बस एक मौन था,जो स्वयं को देखना चाहता था।देखने की उसी चाह सेसृष्टि की पहली लहर उठी।और जब चैतन्य ने स्वयं को प्रतिबिंबित किया,वहीं से सौंदर्य का जन्म हुआ।सौंदर्य कोई वस्तु नहीं,वह आत्मा की तरंग है —जो पंचतत्व में उतरकररूप ले लेती है।मिट्टी ठहरना चाहती थी,जल बहना,अग्नि जलना,हवा नाचना,आकाश सबको थामे रहना।जब ये पाँचों तत्वएक साथ चैतन्य के स्पर्श में आए —तब सृष्टि मुस्कराई,और उसी मुस्कान का नाम पड़ा — सौंदर्य।सौंदर्य पहली