बहारें फिर भी आती हैं

बहारें फिर भी आती हैं आज सुबह थोड़ी देर से नींद खुली थी | आनंद तो अभी भी गहरी नींद में सो रहे थे | पलंग से उठकर मैं मुस्काते हुए गुसलखाने में दाख़िल हुई | आज से चार दिन पहले हमारी शादी हुई थी और कल शाम को ही हम हनीमून के लिए अल्मोड़ा पहुँचे थे | सुबह के ज़रुरी काम निपटा कर मैं हाथ में चाय का कप लेकर बालकनी में बैठी बाहर का नज़ारा देख रही थी | बाहर का दृश्य बहुत ही खूबसूरत नज़र आ रहा था | सामने ऊँचे-ऊँचे पहाड़, चारों ओर फैली हुई हरियाली