— डॉ. ग्यानेंद्र प्रताप सिंह, IIMA परिचय: मशीनें और हमारा मनआज की दुनिया में AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) हर जगह है — मोबाइल से लेकर मनुष्य के निर्णय तक।लेकिन जितना यह हमें आकर्षित करता है, उतना ही यह भ्रम पैदा करता है।हम मशीनों में “मानव-सा सोचने” की क्षमता देखने लगते हैं, जबकि वे सिर्फ़ डेटा पर काम कर रही होती हैं।यहीं से शुरू होती है हमारी सबसे बड़ी मानसिक भूल — AI में मन खोजने की कोशिश। 1. सोचता है या बस गणना करता है?अक्सर लोग कहते हैं — “AI अब इंसानों जैसा सोचने लगा है।”लेकिन क्या यह सच है?वास्तव में, AI