अब आगे...राघव की बात सुन कर वैदेही तो जैसे स्तब्ध रह जाति है। वो इस शादी को नहीं मानता ... अगर वो ऐसा ही सोचता था तो फिर उसने इस शादी के लिए हां क्यों की? क्यों सबसे सामने इनकार नहीं किया। उसकी आंखे भर जाती है और उसका गला भारी सा होने लगता है। वो अपने हाथ बढ़ा कर कुछ कहना चाहती थी लेकिन तभीराघव गुस्से से चिल्ला कर कहता है, "ना ही मेरे लिए ये शादी कोई मायने रखती है और न ही तुम ...। तुम यहां बस मेरे बेटे का ध्यान रखने के लिए आई हो। इसके